जल के बिना जीवन कहा है? मनुस्य जब सभ्य नहीं था तो जल का प्रयोग पीने के लिए, मतस्य पालन में, शिकार, यातायात इत्यादि में करता था, और अपने ठिकाने वही बनाना पसंद करता था जहा जल की प्रचुरता हो. फिर जब मनुष्य ने कृषि करना सीखा तो नदियों के किनारे मानव सभ्यताओं का विकास शुरू हुआ, चाहे वह सिंधु नदी की सभ्यता रही हो, दजला फरात की, नील नदी की या फिर कोई और, सभी सभ्यताओं के विकास में नदिओं या ये कहे जल का बहुत महत्व रहा है. और मुझे लगता है जल के महत्व बताने की ज़रूरत नहीं है, बचपन से यह सब पढ़ते आ रहे हैं. पर महत्वपूर्ण ये समझना है की जैसे जल के बिना पौधे विकसित नहीं हो सकते, वैसे ही हम लोग. मैं अपने मित्रों से अक्सर बात करता हूँ की बचपन में खेलने के बाद हमलोग घर के बाहर बने नल से पेट भर पानी पीया करते थे, कालांतर में सबके घरोँ में जल परिस्कृत करने वाले यन्त्र लगे और अब तो ये गॉव गॉव तक पहुंच गए हैं. आज ग़ाज़ीपुर के बहुत सारे जगहों पर आप पानी को बिना परिस्कृत किये नहीं पी पायेंगे. ऐसा होने के कई वजहें हैं, जल स्तर नीचे चला गया है, नदियां सिकुड़ गई हैं, गांव के तालाब अब तालाब नहीं रहे. इसका कारण हमलोगो के शोषण की प्रवृति है, हर चीज़ का शोषण अपने चरम पर है, ऐसा करते हम सोचते हैं की इससे मेरे बच्चों का भला होगा या ये विचार की मेरे बस इतना भर न करने पर क्या हो जायेगा, पर हम ये नहीं समझ पाते की सभी हमारे जैसा ही तो सोचते हैं. सभ्यताओं के उदभव और पराभव को एक बार और पढ़े और सोचे की आने वाले १०० या २०० साल बाद की स्तिथि कैसी होगी. अपने जिन बच्चों के लिए या फिर जिस भी स्वार्थवस हम चीज़ो को नहीं समझना चाह रहे होँ , कही ऐसा न हो की शुद्ध जल की तलाश में फिर से सभ्यताओं के विकास में आने वाली पीढ़ियों को पलायन करना पड़े. ऐसा होना कोई बड़ी बात नहीं होगी, पहले भी ऐसा हुआ है पर तब दुर्भाग्य ये होगा की आने वाली पीढ़ी को घूमना इस लिए पड़ेगा की आज हमने अपने स्वार्थ पर लगाम नहीं लगाई और बस हमेशा अपने बारे में सोचा, और पता नहीं सही भी सोचा या नहीं, यह तो समय बताएगा. अब जल के बिना कोई भी दिवस तो हो नहीं सकता, पर आज जल दिवस के अवसर पर बस इतना कहूँगा, की स्वस्थ रहे, प्रसन्न रहे और ये न भूले की हमारे अच्छे स्वस्थ और प्रसन्नता में जल कितना महत्वपूर्ण है. आने वाले समय में हमारी नगरीय सभ्यताए और हमारे गॉव बचे रहे , माँ गंगा, सभी नदियां , हमारे सभी तालाब जल से परिपूर्ण रहे, आप सब को जल दिवस की सुभकामनाये।
आभार
वरुण विक्रम