सामाजिक कार्योँ के चर्चाओं के दौरान लोगो से कभी कभी राजनीतिक चर्चाये भी होते रहती हैं, अक्सर लोग समाज में कोई अच्छा नेतृत्व मिले, इसके लिए बाते करते रहते हैं. अमूमन मेरा प्रयास ऐसी चर्चाओं में नहीं जाने का रहता है, पर सच पूछे तो इस बारे में मैं अपनी प्रतिक्रिया देने से रोक भी नहीं पता. समाज कोई भी हो, अगर आपको दशकों से नेतृत्व खोजना पड़े और कोई अच्छा न मिल पाए तो ये एक सामाजिक समस्या है, जो की बहुत बड़ी है. इसके लिए किसी भी एक व्यक्ति विशेष को दोष नहीं दिया जा सकता, हम जो करते है, वैसा ही हमारा नेतृत्व बनता है. इसलिए मेरा मानना है, सभी लोगो को मिलकर एक अच्छे समाज के निर्माण का काम करना चाहिए, इस प्रयास में आप नेत्तृव निर्माण की तरफ बढ़ेंगे,आप को खोजने की जरुरत नहीं पड़ेगी.

एक या दो दसक में कहे तो एक पीढ़ी का समय होता है, हमें ये स्वीकार करना पड़ेगा की एक पीढ़ी के नुक्सान के बाद कम से कम एक पीढ़ी को मिलकर इस नुक्सान के भरपाई का काम करना होगा. हाँ, इसमें समय लगेगा, ख़राब करना तो आसान है ही, निर्माण हमेशा समय लेता है, इसमें हमारे धैर्य और हमारे श्रद्धा की पग पग पर परीछा होती है, लोग साथ आते है, साथ छोड़ते है और फिर साथ आते है. हम सबको लगे रहना होगा. कभी कोई साथ न खड़ा दिखे तो अकेले ही सही, पर ये जरुरी है, एक अच्छे समाज के निर्माण के लिए.

लोगो को ये समझना होगा की कोई भी काम जो वो बस अपने बच्चों को सोच कर करते है, वो जरुरी है, पर बड़ा होने के साथ या ये कहे स्कूल जाने के साथ आप का बच्चा भी समाज का एक हिस्सा बन जाता है, इसलिए अगर समाज अच्छा है तो इसका बच्चे के विकास पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है, इसलिए सभी लोगो को अपने समय का कुछ हिस्सा अच्छे समाज की निर्माण में भी लगाना चाहिए. ये नहीं है, ऐसा होना चाहिए या फिर मैं यह करूँगा, ऐसी चीज़ो और ऐसी लोगो से दूर, छोटा ही सही पर एक कदम ज़रूर उठना चाहिए, एक कर्ता के भाव से. ऐसी प्रयासों में नकारात्मक लोगो से दुरी बहुत जरुरी है, चाहे वो आपके कितने भी करीबी क्योँ न हों.

किसी भी व्यक्ति के निर्माण में समाज की बहुत बड़ी भूमिका होती है, समाज अच्छा है तो अच्छे चीज़ो का स्वाद मिलेगा और ख़राब है तो पीड़ा और हमारी समस्या है की जब तक अपने पर नहीं पड़ती हम कहा समझते है.

इसलिए आइये, हम सब मिलकर एक अच्छे समाज के निर्माण में मिलकर प्रयास करे, यहां से हमको सभी समाधान मिलेंगे, समय जरूर लगेगा, पर हताशा या कुछ न करने का पश्चाताप नहीं रहेगा. थोड़ा ही सही, कुछ न कुछ जरूर करे, आप के बच्चों को इसका ज्यादा फायदा होगा.

अपना, अपनों एवं प्रकृति का ध्यान रखे और मिलकर रहे. हम लोग एक साथ एक सुनहरी यात्रा पर है, ये किसी रोमांच से कम नहीं है, इसमें अपनों के लिए कुछ कर पाने के बाद एक सुखद एहसास एवं संतुस्टि है, और कुछ न हो पाने पर भी होने वाला प्रयास पश्चाताप से मुक्ति देने का काम करती है.

आभार
वरुण विक्रम
विक्रम फाउंडेशन

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