विक्रम फाउंडेशन:  वृक्षारोपण  जागरूकता अभियान  

शुभ प्रभात दोस्तों! 

      आज शनिवार है, तो क्योँ न आज हनुमान जी और पर्यावरण की चर्चा की जाये।  कहते हैं, हनुमान जी आज भी जीवित हैँ, हम उनको भगवान् भी मानते हैं और हमारी मान्यता ये भी कहती है कि  सब मनुष्य में भगवान् होते हैं।  अब अगर मैं ये कहूं की सभी जीवित मनुष्य हनुमान का रूप हैं तो शायद ही किसी को आपत्ति हो। हमारे पूर्वज कहानियों और कथाओं के माध्यम से कई सन्देश दे कर गए हैं। अब हमलोगो को उसको डिकोड कर समझने की ज़रूरत है, जैसे आप सब हनुमान जी का सूर्य को फल समझ कर निगलने वाली कहानी को ही लें।  

अब या तो हनुमान जी सूर्य के ताप को नियंत्रित करना चाह रहे होँ अथवा उनको पुरे दिन में सुबह का सूर्य ही अच्छा लगा हो, क्योँकि दिन में सूर्य देव आज की तरह और भी असहनीय रहे हों। अब बात जो भी हो, पर इतना जरूर है, की सूर्य देव और हनुमान जी के बीच कोई घटना घटित हुई।  घटना का असर ये रहा ही वायु देव ने बहने से मना कर दिया और पूरी सृस्टि में एक प्रकार का हाहाकार मच गया. अब आज के परिपेक्ष्य में देखा जाये तो वायु प्रदूषण इत्यादि की जो घटनाये हो रही हैं,उससे मनुष्यों को कई जगह शुद्ध हवा नहीं मिल रही है और एक हाहाकार सा तो बना ही रहता है।  अब उस समय सभी देवी देवता वायु देव को प्रसन्न करने में लग गए, और जब वह प्रसन्न हुए तो सृष्टि फिर से सामान्य रूप से चलने लगी। अब अगर आज के समय में देखा जाये तो अगर हम वायु प्रदूषण को ही नियंत्रित कर लें तो हमारा काम हो जाये तो मुझे लगता है, ये कहानी शायद ये बताने का एक प्रयास रहा हो की वायु को प्रसन्न रखना है, उसको दूषित नहीं करना है. इसके लिए आज जो भी हनुमान के अंश हैं, उनको फिर से एक प्रयास करना होगा, और जैसे हनुमान जी को उनकी शक्ति का आभास कराना पड़ता था, वैसे ही आज के मनुष्योँ (हनुमान) को ये आभास कराना पड़ता है,और मेरा ये प्रयास उसी का हिस्सा है।

         अब इसके पहले वायु देव और प्रदूषित होकर और अधिक क्रोधित हो, आइये, सब मिलकर वृक्षारोपण के महत्व को समझे और अपने अभियान को आगे बढ़ाये पौराणिक कथाओं के माध्यम से हमारे पूर्वज बहुत गूढ़ सन्देश देना चाहते हैं, कथाएं ऐसी होती हैं, कि  ये मनोरंजक लगे जिससे इनको हम आगे बच्चों तक पंहुचा भी दे।  अब इस कथा को मैं जैसा समझ सका बताने का प्रयास किया और ये एकदम जरुरी नहीं की आप मेरे मत से सहमत हो, पर ये बात ऐसे जम सी गई है, की आने वाले वृक्षारोपण अभियान को “हनुमानोतस्व” कहा जाये तो कुछ गलत नहीं होगा। 

ये मैसेज अपने आस पास के हनुमंत मित्रों तक पहुचाये, और जो विक्रम फाउंडेशन के इस वृक्षारोपण प्रोग्राम से जुड़ना चाहे उसको साथ लाये. 

स्वस्थ रहें, प्रसन्न रहे और लगने जा रहे पौधो में कम से कम एक पौधे को अपना मित्र बनाये,क्योंकि ये ही ऐसे मित्र है, जो सदैव आप के मित्र रहेंगे.

आभार
वरुण विक्रम
विक्रम फाउंडेशन   

Basuchak #Kaneri 

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