गाज़ीपुर को वर्तमान रूप देने वाले गाज़ीपुर के विश्वकर्मा जिन्होंने गाज़ीपुर में पी जी कॉलेज, होम्योपैथिक कॉलेज, कृषि विज्ञान केंद्र, तकनीकी शिक्षा एवं शोध संस्थान,आदर्श इंटरमीडिएट कॉलेज, नेहरू स्टेडियम , विकास निगम आदि का निर्माण करवाया, बाबू राजेश्वर प्रसाद सिंह ने अपना शरीर त्याग दिया लेकिन वो सदैव अपने सृजनात्मक कार्यों द्वारा गाज़ीपुर के रज कण में विद्वमान रहेंगे। राजेश्वर प्रसाद जी ने गाज़ीपुर के लिए अपना सम्पूर्ण जीवन समर्पित कर दिया। विकास के लिए प्रायः सभी क्षेत्रों में इन्होंने अपना जो योगदान दिया है वो अतुलनीय है।
समाज के विकास के लिए आवश्यक सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए इन्होंने जो काम किया है वह एक कर्मयोगी के बस की ही बात है । ऐसे युगपुरुष सौ-दो सौ वर्षों में जन्म लेते हैं। बच्चों की शिक्षा, खेलकूद, आधुनिक शिक्षा, सभी को समग्र रूप में देखें तो गाज़ीपुर के प्रत्येक परिवार इनके रचनात्मक कार्यों से लाभान्वित हुआ है। इनके देहांत से गाज़ीपुर को ही नही वरन सम्पूर्ण पूर्वांचल को अपूर्णीय क्षति हुई है और इनके जाने से जो रिक्तता उत्पन्न हुई है वह शायद ही भरी जा सके। सबसे बड़ी बात है कि इतने निर्माण कार्य कराने के बाद भी उनकी स्वच्छ छवि पर कोई दाग नही लगा ।
पूरे गाज़ीपुर में सेक्रेटरी साहब के नाम से जाने जाने वाले राजेश्वर प्रसाद जी हमारे दादा जी के तुल्य थे। जब पी जी कॉलेज की स्थापना हो रही थी तो अन्य महानुभावों के साथ मेरे दादा जी स्वर्गीय विक्रमा सिंह और नाना जी डॉ कमल नारायण सिंह ने राजेश्वर दादा जी का यथा संभव सहयोग किया और आजीवन सदस्य बने।
मेरे पिता जी नियमित रूप से दादा जी (स्वर्गीय राजेश्वर प्रसाद सिंह)के यहाँ शाम को जाते थे ।ये एक सत्संग जैसा ही था जहां पर दिन भर के समाचार पर चर्चा होती थी और पंडित जी द्वारा कथा वाचन किया जाता था।
हमलोग भी अपने पिता जी के इस दिनचर्या के इतने आदती हो चुके हैं कि हमारी छोटी भांजी आयती शाम को कभी गाज़ीपुर फ़ोन पे बात करती तो कहती कि नाना(मेरे पिता जी श्री बालेश्वर सिंह) तो बाबू जी के यहां गए होंगे।मेरे पिता जी राजेश्वर दादा जी को बाबू जी के नाम से ही संबोधित करते हैं। पिता जी के साथ ही साथ उन सभी की दिनचर्या पर एक प्रहार हो गया है जिसने उन्हें इनके बाबू जी के सानिध्य से हमेशा के लिए वंचित कर दिया ।
एक विचार, एक दृष्टि जो इन्होंने प्रदान की है उसका अनुपालन हो तो निश्चय रूप से ये उनके लिए सच्ची श्रद्धांजली होगी। मेरा एक अनुरोध है पी जी कॉलेज गाज़ीपुर के प्रबंधन मंडल से की यथाशीघ्र इसका नाम राजेश्वर प्रसाद सिंह पी जी कॉलेज कराने की कृपा करें।
गाधिपुरम शृंखला के ब्लोग्स इनको याद किये बिना अपूर्ण रहता, सो इस कड़ी में विक्रम फाउंडेशन की तरफ से एक श्रंदांजलि !
सौजन्य से- विक्रम फाउंडेशन